ब्लड बैंकों में ‘फोर्थ जेनरेशन एलाइजा किट’ से अप्रैल से होगी जांच, 99.97 फीसदी संक्रमण का पता चल सकेगा

एसएमएस जयपुर समेत सभी सरकारी ब्लड बैंकों में अब खून की सुरक्षित जांच होने के साथ ही बीमारी को जल्द पकड़ा जा सकेगा। एंटीबॉडी और एंटीजन दोनों का पता भी लग सकेगा।


नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (नाको) नई दिल्ली की पॉलिसी में शामिल करने के बाद अप्रैल से सरकारी ब्लड बैंकों में खून की जांच ‘एलाइजा चतुर्थ जेनरेशन किट’ से होगी। एडवांस किट से विंडो पीरियड भी कम होगा। मौजूदा स्थिति में एलाइजा थर्ड जेनरेशन तकनीक का विंडो पीरियड यानि शरीर में एचआईवी के वायरस अगर तीन माह से अधिक समय होने पर ही पता चल पाता है। जयपुर समेत प्रदेश में 61 सरकारी ब्लड बैंक हैं। 


रक्तदान के पहले ये टेस्ट अनिवार्य 
रक्तदान से पहले एचआईवी, हिपेटाइटिस-बी और सी (खून के संक्रमण से होने वाला पीलिया), वीडीआरएल (वेनेरियल डिजीज) एवं मलेरिया (मलेरिया की प्रजाति फेल्सिपेरम और वाइवेक्स) की ब्लड बैंकों में टेस्ट करना अनिवार्य है।  गौरतलब है कि फोर्थ जेनरेशन एलाइजा किट का इस्तेमाल करने से एंटीबॉडी और एंटीजन दोनों का पता करना आसान। बीमारी को जल्द पकड़ा जा सकेगा। संक्रमित खून के जरिये फैलने वाले एचआईवी के मामलों में कमी आने के साथ ही 99.97 फीसदी संक्रमण का पता लग जाता है।  


अलर्ट के साथ मॉनिटरिंग 
रक्तदान शिविरों में संक्रमित खून के अधिकतर मामले बड़े होते हैं और लोग रिकॉर्ड बनाने के चक्कर में हजारों यूनिट खून का एकत्र करते हैं। शिविर में ज्यादा लोग होने के कारण नए रक्तदाता भी आते हैं, वहीं अधिक होने के कारण हर किसी की संपूर्ण जानकारी नहीं मिल पाती। ऐसे में कई बार संक्रमित व्यक्ति भी डोनेट कर देते हैं। इसलिए स्वैच्छिक और स्वस्थ रक्तदाताओं को प्रोत्साहित करना चाहिए। ऐसे में अलर्ट के साथ मॉनिटरिंग होनी चाहिए। 
 


आरएसबीटीसी के निदेशक डॉ.आर.पी. डोरिया ने बताया कि नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन नई दिल्ली की ओर से फोर्थ जेनरेशन एलाइजा किट को पॉलिसी में शामिल कर लिया है। अप्रैल से सरकारी ब्लड बैंकों में इसी जांच किट का इस्तेमाल होगा। 
 
आरएसबीटीसी के सदस्य सचिव डॉ. मनमोहन मित्तल ने बताया कि नई एडवांस तकनीक के एलाइजा जांच किट से बीमारी को जल्दी पकड़ा जा सकेगा। संक्रमण को फैलने से भी रोकने में भी कमी आएगी। 


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